1.क्या है ‘कन्नप्पा’?
कन्नप्पा मूवी रिव्यू में हम बात कर रहे हैं 2025 की सबसे चर्चित पौराणिक फिल्मों में से एक, जिसमें विष्णु मांचू ने भगवान शिव के अनन्य भक्त की भूमिका निभाई है। फिल्म में भक्ति, बलिदान, और एक आम व्यक्ति की ईश्वर तक पहुँच की प्रेरणादायक गाथा को बेहद शानदार ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
भारतीय सिनेमा में पौराणिक और भक्ति आधारित फिल्मों का एक विशेष स्थान रहा है। लेकिन जब ऐसी फिल्म किसी अभिनेता का दशकों पुराना सपना हो, और उसमें प्रभास, मोहनलाल और अक्षय कुमार जैसे सितारे हों, तो उम्मीदें कई गुना बढ़ जाती हैं। कन्नप्पा ऐसी ही एक फिल्म है। यह फिल्म आदिवासी शिकारी थिन्नाडु की कहानी है, जो भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति से कन्नप्पा बनता है। यह कन्नप्पा मूवी रिव्यू इस फिल्म की विशेषताओं पर रोशनी डालता है।
इस कन्नप्पा मूवी रिव्यू में हम यह भी जानेंगे कि फिल्म के किन पहलुओं ने दर्शकों का दिल जीता और किस तरह क्लाइमेक्स ने इसे एक ऐतिहासिक अनुभव बना दिया।
2.फिल्म की कहानी: एक शिकारी से महाभक्त तक की यात्रा
फिल्म की शुरुआत होती है आंध्र प्रदेश की चेंचू जनजाति से, जहाँ एक बहादुर लेकिन ईश्वर-विरोधी शिकारी थिन्नाडु (विष्णु मांचू) रहता है। वह प्रकृति में विश्वास करता है लेकिन देवताओं पर नहीं। जीवन में अनेक संघर्षों और अनुभवों के बाद, उसका हृदय बदलता है। वह भगवान शिव की भक्ति में लीन हो जाता है और उसी समर्पण में वह अपने दोनों नेत्र भगवान के शिवलिंग पर अर्पित कर देता है।
फिल्म की ये पौराणिक कथा ‘श्रीकालहस्ती महात्म्यम’ और ‘बसव पुराणम’ पर आधारित है। इसकी प्रस्तुति में भावनात्मकता, आस्था और मानवीय संवेदनाएँ गहराई से उभरकर आती हैं।
अगर आप धार्मिक फिल्मों के शौकीन हैं, तो इस कन्नप्पा मूवी रिव्यू को पढ़कर आपको फिल्म को देखने की प्रेरणा अवश्य मिलेगी। विष्णु मांचू का अभिनय और क्लाइमेक्स का दृश्य लंबे समय तक स्मृति में रहेगा।
3.अभिनय की समीक्षा
विष्णु मांचू (कन्नप्पा)
विष्णु मांचू ने अपने करियर की सबसे प्रभावशाली परफॉर्मेंस दी है। खासकर फिल्म के अंतिम 30 मिनट में उनका अभिनय इतना जबरदस्त है कि दर्शकों को रुला देता है। उन्होंने एक्शन और इमोशन दोनों में गहराई दिखाई है।
मोहनलाल (किराता)
मलयालम सुपरस्टार मोहनलाल का किरदार छोटा लेकिन बेहद महत्वपूर्ण है। उनका डायलॉग डिलीवरी और स्क्रीन प्रेज़ेंस फिल्म को ऊँचाई देता है।
प्रभास (रूद्र)
भले ही उनका रोल सीमित है लेकिन प्रभास की मौजूदगी दर्शकों के लिए एक सरप्राइज पैकेज है। उनकी दिव्य छवि और गंभीर अभिनय कहानी में वजन जोड़ती है।
अक्षय कुमार (भगवान शिव)
अक्षय कुमार ने भगवान शिव की भूमिका में आध्यात्मिक ऊर्जा और गरिमा को बखूबी दर्शाया है। उनका किरदार फिल्म में रहस्यमय और आकर्षक बना रहता है।
काजल अग्रवाल (पार्वती)
काजल का किरदार भले ही सीमित है लेकिन भावनात्मक दृश्यों में उनका अभिनय बेहद प्रभावशाली रहा है।
4.संगीत और तकनीकी पक्ष
संगीत
फिल्म का संगीत स्टीफन देवसी ने तैयार किया है। बैकग्राउंड स्कोर शानदार है जो हर भाव को मजबूत करता है। क्लाइमैक्स में बजने वाला शिव स्तुति गीत रोंगटे खड़े कर देता है।
सिनेमैटोग्राफी
न्यूज़ीलैंड की खूबसूरत वादियों में शूट किए गए दृश्य दर्शकों को एक अलग ही विजुअल अनुभव देते हैं।
वीएफएक्स और प्रोडक्शन डिज़ाइन
कई सीन में VFX प्रभावी हैं लेकिन कुछ जगहों पर बजट की सीमाएँ दिखती हैं। फिर भी क्लाइमैक्स को बेहतरीन रूप से प्रस्तुत किया गया है।
5.सेंसर बोर्ड की आपत्तियाँ और विवाद
कन्नप्पा को सेंसर बोर्ड द्वारा U/A 13+ सर्टिफिकेट मिला है। 13 सीन और कुछ डायलॉग्स को हटाने या बदलने के लिए कहा गया। जैसे:
- ‘नीच जाति’, ‘चवटा’ जैसे शब्दों को हटाया गया।
- एक डिस्क्लेमर जोड़ा गया जिसमें कहा गया कि यह कहानी पौराणिक ग्रंथों पर आधारित है और फिल्म बनाने से पहले श्रीकालहस्ती मंदिर के मुख्य पुजारी से अनुमति ली गई है।
निर्माताओं ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि फिल्म को बदनाम करने या गलत ढंग से प्रस्तुत करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
6.दर्शकों की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर फिल्म को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली है।
“#Kannappa का क्लाइमैक्स मुझे कांटारा की याद दिला गया। Vishnu Manchu ने आखिरी 15 मिनट में जान डाल दी है।”
“फर्स्ट हाफ थोड़ा स्लो है लेकिन सेकंड हाफ और क्लाइमैक्स में फिल्म जानदार है।”
7.बॉक्स ऑफिस पर प्रदर्शन
- पहले दिन का अनुमानित कलेक्शन ₹13 करोड़ रहा।
- इंडिया में फिल्म ने कई शहरों में मिक्स रिस्पॉन्स पाया, लेकिन दक्षिण भारत में अच्छी ओपनिंग हुई।
- वीकेंड पर उम्मीद की जा रही है कि क्लाइमैक्स की चर्चा से वर्ड ऑफ माउथ के ज़रिए फिल्म को फायदा मिलेगा।
8.फिल्म से जुड़े कुछ खास पल
- राजिनिकांत द्वारा Vishnu Manchu को गले लगाना
- शूटिंग लोकेशन: न्यूज़ीलैंड की घाटियाँ
- संगीत में भक्ति का अनुभव
- शिवलिंग पर आंखें चढ़ाने वाला दृश्य
9.फिल्म के स्रोत
- ‘श्रीकालहस्ती महात्म्यम’ (तेलुगु पौराणिक ग्रंथ)
- ‘बसव पुराणम’ – वीरशैव संत पर आधारित ग्रंथ
- जनश्रुतियाँ और स्थानीय किंवदंतियाँ
10.इंटरनेट पर फिल्म की स्थिति
IMDb पर फिल्म को 8.5/10 की रेटिंग मिली है। ट्विटर पर ट्रेंड करता रहा #KannappaClimax। फिल्म के निर्माता लगातार सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं और हर प्रतिक्रिया का जवाब दे रहे हैं।
11.क्या देखें इस फिल्म को ?
अगर आप पौराणिक कथाओं, भक्ति, और भावनात्मक कहानियों में रुचि रखते हैं, तो यह फिल्म आपको जरूर पसंद आएगी। विशेष रूप से शिव भक्तों के लिए यह एक आध्यात्मिक अनुभव जैसी लगेगी। क्लाइमैक्स फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है।
12.विस्तार से: धार्मिक और सामाजिक महत्व
कन्नप्पा न केवल एक फिल्म है, बल्कि भारतीय पौराणिक धरोहर को नए सिरे से प्रस्तुत करने का प्रयास है। यह फिल्म धार्मिक सहिष्णुता, आत्म-बलिदान और भक्ति की गहराई को एक भावनात्मक रूप देती है। आज के युग में जब दर्शक तेज गति वाली स्क्रिप्ट की आदत डाल चुके हैं, इस तरह की गहन भावनात्मक फिल्मों का निर्माण करना साहसिक कदम है।
कन्नप्पा सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि आस्था, श्रद्धा और इंसानी बलिदान की कहानी है। विष्णु मांचू ने इस प्रोजेक्ट में न केवल एक्टर बल्कि लेखक और निर्माता के रूप में भी दिल लगाकर काम किया है। क्लाइमैक्स देखकर दर्शक भावनाओं में बह जाते हैं। यह फिल्म उन सबके लिए है जो सिनेमा में आध्यात्मिकता और भक्ति की अनुभूति पाना चाहते हैं।
कुल मिलाकर यह कन्नप्पा मूवी रिव्यू दर्शाता है कि क्यों यह फिल्म एक आम पौराणिक कथा से कहीं अधिक है।
अंत में यही कहा जा सकता है – ‘कन्नप्पा’ को एक बार जरूर देखना चाहिए!